एक झूठ जो कभी
यहाँ-वहां फिरता है
चलता, फिरता जो
झुकता नहीं कभी
झूठ की आन लिए
फिरता है
न जाने आज यहाँ हो
या वहां जिसका कार्य ही झठ
बतलाना यहाँ वहां
फरेबी में घूमता
जिसका कार्य ही
नोंक्जोंक करना रहता
हर समय
आज क्या दिखेगा
इसी में सबकुछ बोलता
नहीं लगता मंशा कुछ
कर गुजरने की
जो हमेशा दूसरों
को दबाने की मंशा में
घूमता, फिरता जिसका
कार्य ही झूठा हो।
यहाँ-वहां फिरता है
चलता, फिरता जो
झुकता नहीं कभी
झूठ की आन लिए
फिरता है
न जाने आज यहाँ हो
या वहां जिसका कार्य ही झठ
बतलाना यहाँ वहां
फरेबी में घूमता
जिसका कार्य ही
नोंक्जोंक करना रहता
हर समय
आज क्या दिखेगा
इसी में सबकुछ बोलता
नहीं लगता मंशा कुछ
कर गुजरने की
जो हमेशा दूसरों
को दबाने की मंशा में
घूमता, फिरता जिसका
कार्य ही झूठा हो।
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