21 दिसंबर 2010

चाय पीने के बहाने

चाय पीने के बहाने आ जाते हैं आखट में चाय पीने के बहाने खीलते हैं फूल तो कहीं बिक्हर जाते हैं पंखुडियां चाय पीने के बहाने कभी पीते तो चाय तो कभी पीलाते फिर इसी सोच में बिक्हर जाते हैं पंखुडियां आते हैं लेकर कशिश चाय पीने के बहाने कितनी अनजान है यह जिंदगी के लम्हे मुकेश नेगी २२-१२-२०१०.