9 सितंबर 2012

बदलने की कोशिश

आँख चुराकर

जब कोई बात करता है

टपकते हैं बूँदें

जहाँ जलन अँधेरे की ओर

धकेलने की कोशिश में रहते हैं

स्वयं को बदलने के लिये

रुख बदलना पड़ता है

इन तूफानों से बार-बार

खेलकर जीना पड़ता है|