बड़ी मुदतों के बाद
कशमकश जगाता
मन की गहराइयों में
आदर्श की कसौटी
को तराशता जहाँ है
स्वर्ग सा नजारा
निर्धनता, अशिक्षा,
बेरोजगारी के स्वरूप
को निहारता,
जहाँ व्याप्त अभिशाप,
पाप कुंठायें
और रूढ़ियाँ मचाता है
हलचल सा हृदय