अहसास जहाँ
बनते हैं जब बताते हैं
जहाँ इर्द-गिर्द
बनाते हैं छलकते हैं
कभी अँधेरे व्
कभी उजाले का अनुभव
जहाँ बिसारते हैं
हर क्षण बनते बनाते हैं
परख , समझ जहाँ
पहचान बनाते हैं
जहाँ अपना परख
समझ के आस पास
गुजरते हैं
तभी अहसास अनुभव
में बदल जाते हैं ।