25 अगस्त 2012

दिशाओं की ओर


  थमते हुए राह में जब हम राह थामते हैं,
  थमते हुई जिंदगी में सफर चलता रहे, 

  राह में रुकावटें कहीं दिशा मोड़ दे,
  परख बना रहे परीक्षा की दिलोदिमाग में, 

  जिंदगी की राह यूँ ही चलती रहे, 
 जहाँ दिल बिना रुके बसा रहे |

रुढ़िवादी धरा

रुढ़िवादी धरा
आदर्श की कसौटी
तराशती धरा जहाँ हो
स्वर्ग सा नजारा
चारों दिशायें

हतोत्साहित दृश्य
फिर कसक जगाती
मेरे मन में

जहाँ बेरोजगारी से
त्रस्त तृष्णा प्रकृति के
स्वरूप को पलटते

कब सुधरेगी धरा
की सभ्यता
जहाँ व्याप्त अभिशाप, पाप,
कुंठाएं और रूढ़ियाँ
मचाते हृदय में हलचल |

बिसरे पल

इन हरी भरी यादों में कसक तराशता है, फिर से माहौल बने और हम उन में संजीदगी से नये तरीके से रूबरू हो सके, सुदूर आगंतुक की तलाश में बिसरे यादों के संग इन्तजार की घडी समाप्त हो |
 इन हरी भरी यादों में
 कसक तराशता है,
 फिर से माहौल बने
 और हम उन में
 संजीदगी से नये
 तरीके से रूबरू हो सके,
 सुदूर आगंतुक की तलाश में
 बिसरे यादों के संग
 ख़त्म  न हो हरियाली
 इन्तजार की घडी समाप्त हो |