27 मार्च 2012

मंडराते हैं


हर समय मंडराते ही
मेरे आस पास एक
नये  चक्र की ओर
सामने झलकने में
शायद परेशानी का
सबब  हो

प्रत्येक समय चाह कर
भी नजदीक आने में
कतराते हैं शायद उनको
परेशानी का सबब हो

एक नया पहल
झलकता है
जहाँ से हम गुजरते हैं
एक नया सा पहल है 
जो ठोस सा पहल है

प्रत्येक समय
कहीं न कहीं
उलझन हमारे प्रत्यक्ष
व इर्द गिर्द दिखाई देता है