30 जनवरी 2012

जहां मन के विचार उभरते हैं

जहां मन के  विचार उभरते हैं

न जाने चाय की चुस्कियों के साथ
मेरे मन में अनेक तरह के विचार
एवं  मेरे इर्द गिर्द जमावड़ा 
सा प्रकट हो जाता है

कभी मन में अनेक तरह
के विचार उत्पन्न होते हैं
उन जमावडों में सांसे
सिसक सी जाती है

प्रतिबिम्ब देखकर एक
अलग सा माहौल प्रकट होता है
एक नए सोच और कार्य के लिए
मन में नया ख्याल प्रकट होता है

लेकिन जाने अनजाने में 
इन सब से उभरना
मुश्किल सा प्रतीत होता है ।

29 जनवरी 2012

हर कदम नया है |

हर कदम पर नया है,जिसमे चलना मुश्किल सा है 
परछाईयों के सहारे चलना है,एक नया सा प्रतिबिम्ब है 

हर  समय कुछ नया सा लगता है, हर  कदम एक नया सामना है 
कभी  मन चंचल हो जाता है, कभी कदम रुक से जाते हैं 

दिशा  यूँ ही  हट सा  जाता है, सोच  समझकर
भी आदमी अपने नया  कदम नहीं बढ़ा पाता है ।















जिंदगी की राह मुश्किलों का सामना है |

कभी जिंदगी की राह 
मुश्किल सा  नजर आता है 
क्योंकि  कहीं नये 
परिवेश में जीना पड़ता है 
कहीं हम दोस्तों से
अलग हो जाते हैं 
कहीं रुकते हैं कदम
तो कहीं अकेलापन
नजर आता है 
कहीं हम अलग थलग
से महसूस हो जाते है
हम चाह कर भी नहीं
बढ़ा सकते कदम
क्योंकि रुकावटें हमे
रोक लगा देते है ।



8 जनवरी 2012

लगाव: जैसे ही कदम बढ़ाते हैं

लगाव: जैसे ही कदम बढ़ाते हैं: नयी उमंगें नया जोश नए साल में नयी बहार नयी उमंग भरता है इस बहार में नया रुखसार नए फ़िराक में बदलते हुए कभी इस डगर कभी उस डगर दिलकश अ...

7 जनवरी 2012

जैसे ही कदम बढ़ाते हैं

नयी उमंगें नया जोश
नए साल में
नयी बहार नयी उमंग
भरता है इस बहार में

नया रुखसार नए फ़िराक में
बदलते हुए कभी इस डगर
कभी उस डगर दिलकश
अंदाज में

बर्फ की नयी फुआरें
सिसक लेती सांसों को
कहीं रुकते हैं कदम तो
कहीं फिर से बढ़ते है उमंग
कहीं रुकते है कदम