31 अगस्त 2011

स्वप्नलोक

गहरी नींद में
विचारों का बोझ बुनता
 तरह-तरह के  स्वप्न

कभी मन को कचोटता
कभी  पैदा करता उल्लास
विचारों के  गलियारों में


भवन निर्माण की तरह 
गुजरता समय, टूट सा जाता
 भूकंप की तरह स्वप्न

कभी हताश सा रह जाता स्वप्न
 ऐसा है अद्यतन मानवता का |