23 मई 2012

अविस्मृत पल

वादियाँ
 कल जहाँ से गुजरा हूँ 
 सब कुछ विस्मृत सी है 
 पलकें  झपकते हुये
 चला जाता हूँ

 आज फिर से वहीँ 
 ठंडी हवाओं के झोकों
 संग कुछेक अविस्मृत 
 पलों के संग टहलते हुये
 यादों के संग चला जाता हूँ

 सब  कुछ नया
 सा दिखाई देता है
 जहाँ हर बात नयी सी है
 एक  नयी सोच  नयी
 उमंगों के संग चला जाता हूँ

 पथराये हुये सा विस्मृत
 पलों के संग वादियों में
 टहलते हुये चला जाता हूँ ।