28 अगस्त 2012

उजाले का अहसास

उजाले में भी अँधेरे
का अहसास होने लगा है
जहाँ परम्परायें करते हैं
रुढियों का पालन
सदियों पुरानी सभ्यता
पर जीने लगा है मानव
कैसे मिटेगा अँधियारा
कब होगा उजाले का दीदार
निर्दोषों को कर विवश
चिथड़ों के साये होता
रहा है स्वार्थ का पालन
कब तक चलेगा
उजाले में अंधेरों का स्वार्थ
नियति के नियमों को रखकर
ताक पर जीने को विवश है
बनावटी परिवेश में।

एक ख्वाब

जिन्दगी एक ख्वाबों की हकीकत है,
अगर न हो वैर तो तक़दीर संवर जाती है,
वक्त साथ दे, तो सब कुछ बदल जाता है |

दबिश

आसान लगता है
पैरों के तले दबाना
लेकिन वो क्या जाने
घुटन क्या चीज है
कभी महसूस करके देखो
कि घुटन का स्वाद कैसा है
चींटी का खरोंच भी काफी है
विशालकाय जीवनी काफी को
मूर्छित करने के लिये
आसान लगता है पैरों तले दबाना |