16 जून 2012

संयम के पल

जहाँ से चले हैं
जहाँ आकर रुके हैं
जहाँ सारा जहाँ
चलने की दिशा है
कितना सुखद
कितना हसीन
कितने सफल

होते हैं ख्वाहिश
चाहने के लिये
कहीं किसी डगर
को लिये

चलने के लिये
फिर भी मन
उत्साह से भरा
कभी कभी इस
तरह भी

किरणों के संग
फिर से उमंग भरे
और सुखद पहलू
दिशाओं में संजो रखना |