22 जून 2012

बारिश

रास्ते में कुछ आने का सूचक
चलो एक नये दिशा की ओर
कि आने वाला है बरसाती रंग
पड़ने लगे हैं छिटपुट बूंदें
चले एक नई दिशा की ओर |

कसक

 कसक दिल की जगी रहे 
 आस संजोये हुए मन के झमेलों 
 से दूर और चलते रहे जिन्दगी की
 भागदौड बरसात में भी बिन मौसमों
 के रूख और हम जियें जिसमें संजीदगी |

अस्तित्व

संलिप्त होते हुए
विलुप्त सा नजारा
झलकता है
दिन, रात खोई हुई
अस्मिता उजाले की ओर
पहल के लिये
जहाँ सोया हुआ
अस्मिता जगा जाये
ओर बर्बस बढ़ चले
शून्य के आगे अस्तित्व
स्वछन्द दिशाओं में
उजले से बिना रुके|