21 जून 2012

प्रभात

हर पहलू जहाँ महक
चेहक कर कदमों से
खुलते हैं ताजगी के
राग ठनक कर प्रभात
के संग सुप्रभात !

शुरू होता है दिन का
आगाज जहाँ से शुरू
होते हैं व्यस्तता के
दौर, पनपते हैं नये
सवाल और खोजते हैं

कागज के पन्ने कलम
से सिमट कर रह जाते हैं
और शुरू हो जाता है
छंदों के उद्वेलित मनोभाव

अभिव्यक्ति के छलावे
सिमट कर रह जाते है
चंद शब्दों की परिभाषा |