3 मार्च 2012

दोस्ती का राग

दोस्ती का राग
 समयानुसार बदलते रहता है
हम चाह कर भी इस राह से हट नहीं जाते
हर कोई नये फिराक में रहता है
हर किसी का भाग्य बदल जाता है
अगर सही रास्ते पर चले तभी
दोस्ती का राग एक अलग
रिश्ते में परिवर्तित हो जाता है
इसी राग से बनते और बिगड जाते हैं
प्रत्येक आदमी अपने आप को ऊँचाइयों
पर स्थापित करने की फिराक में रहता है ।