21 मई 2012

सामना मुश्किलों का

अभी सोचने से 
हकीकत भी है
सामना मुश्किलों का

पनपते हैं नये सवाल
छलकते हैं रुदन

हँसी जब रुक सी  
जाती है

कदम जहाँ बमुश्किल
से बढते हैं

क्रोध जो तीव्र
बना लेता है

जब  अलग हो
ध्यान हट सा जाता है

आंसू जहाँ
बारिश का रूप
ले लेती  है

डर  जब हमें
हर क्षण सताता है

दर्द  जब उभरकर
थमता नहीं है

कार्य  जब
कभी दुश्कर
हो जाते हैं

सामना जब
हकीकत
बन जाता है

रंग  रूप छलक
जाता है रंगों राग सा
सामनाओं के संग  |