जारी रखना फिर मुड कर देखो
आख़िरकार हम कहाँ अलग थलग रह गये ?कोई पता ही नहीं चला | चिलचिलाती सूर्य की किरणों में भी हम सिमट कर रह जाते हैं| किसी के पूछने पर की आप इस कदर क्यों हैं| हमने कह दिया हम तो छोड़ गए तुम जारी रखना मुड कर न देखा करो| किसी दिन हमने छोड़ दिया था शायद हो सकता है, कोई परेशानी का सबब बना हो या अफरातफरी के इस भीड़ भरे माहौल में कहीं पिछड़ गये| आखिर रूख क्यों पलट जाती है? हर जगह !
कहीं न कहीं परेशानी का माहौल बना रहता है| मौसम की तरह!
मुझे लगता है, परेशानी का सबब यूँ ही नहीं बनता है| कोई न कोई हमारे इर्द-गिर्द उलझन देने या कष्ट के लिए किसी न किसी मतलब से स्वार्थ के फिराक में रहता है| और इस उलझन में में आगे बढना भी किसी पहाड़ को लांघने से कम नहीं लगता है| जारी रखना फिर मुड कर देखना जरूर!
20 जून 2013
21 मई 2013
दिन अभी बाकि है
पिछली बातें अधूरी है
फिर भी दिन अभी बाकि है
जो भी हमेशा के लिए अधूरा रहा
अगर पूरा हो ये जरूरी है
फिर भी कोई उमंग रखे तो
रफ़्तार में दिन बाकि है
एक लक्ष्य जो मेरे सामने बाधा
बन रही है उमंगों से भर जाये
हर कोशिश में विफलता के बीच
आज भी किसी मंजिल की ओर चलते हैं|
फिर भी दिन अभी बाकि है
जो भी हमेशा के लिए अधूरा रहा
अगर पूरा हो ये जरूरी है
फिर भी कोई उमंग रखे तो
रफ़्तार में दिन बाकि है
एक लक्ष्य जो मेरे सामने बाधा
बन रही है उमंगों से भर जाये
हर कोशिश में विफलता के बीच
आज भी किसी मंजिल की ओर चलते हैं|
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